गर्भनिरोधक साधनों से जुड़े सामान्य मिथक
गलत सोच: गर्भनिरोधक अपनाने से बाँझपन हो जाता है।
सही सोच: नहीं, किसी भी आधुनिक गर्भनिरोधक साधन से बाँझपन नहीं होता। साधन बंद करने पर महिला दोबारा गर्भधारण कर सकती है।
गलत सोच: गर्भनिरोधक साधन शादीशुदा लोगों के लिए ही होते हैं।
सही सोच: नहीं, सभी यौन सक्रिय महिलाएं – चाहे विवाहित हों या नहीं – अपनी मर्जी से सुरक्षित साधन अपना सकती हैं।
गलत सोच: गर्भनिरोधक साधन अपनाने से लोग क्या सोचेंगे, बदनामी होती है।
सही सोच: गर्भनिरोधक सेवाएँ गोपनीयता से दी जाती हैं, इसलिए घबराए नहीं| अपने शरीर और परिवार की ज़िम्मेदारी लेना समझदारी है, शर्म की बात नहीं।
गलत सोच: गर्भनिरोधक गोलियाँ पेट में जमा होकर घाव बना देती हैं।
सही सोच: नहीं, यह पूरी तरह गलत धारणा है। गोलियाँ पच जाती हैं और शरीर से बाहर निकल जाती हैं।
गलत सोच: अगर महीने में 1-2 बार ही संबंध होते हैं, तो कोई साधन इस्तेमाल करना ज़रूरी नहीं।
सही सोच: 1 बार के संबंध से भी गर्भ ठहर सकता है इसलिए कभी भी बिना सुरक्षा संबंध नहीं बनाएं|
अंतरा सुई से जुड़े मिथक
गलत सोच: अंतरा सुई लगवाने से महिलाएं सुंदर दिखने लगती हैं।
सही सोच: नहीं। ये सिर्फ मन का संतुलन होता है – चिंता मुक्त होने की वजह से महिला खुश और आत्मविश्वासी दिखती है।
गलत सोच: अंतरा से बहुत ज़्यादा वज़न बढ़ जाता है।
सही सोच: नहीं। अंतरा के इस्तेमाल से साल में 1-2 किलो वजन बढ़ सकता है, ज़्यादा बढ़ रहा हो तो अन्य कारण हो सकते हैं – जैसे कम व्यायाम या ज़्यादा खानपान या कोई बीमारी।
गलत सोच: अंतरा लेने से शरीर में बहुत गर्मी हो जाती है।
सही सोच: नहीं। शरीर में गर्मी महसूस होना मौसम या अन्य कारणों की वजह से हो सकता है।
गलत सोच: अंतरा सुई के बाद बहुत ब्लीडिंग होती है, जिससे महिलाएं पूजा या रसोई में नहीं जा सकतीं।
सही सोच: ब्लीडिंग शुरू के 2-3 महीने तक हो सकती है, पर यह खून दूषित नहीं होता और किसी काम से परहेज़ की ज़रूरत नहीं।
गलत सोच: अंतरा सुई 5 साल तक चलती है।
सही सोच: नहीं। अंतरा सिर्फ 3 महीने तक प्रभावी होती है। हर 3 महीने में नया सुई लगवाना होता है।
गलत सोच: अंतरा से प्रजनन शक्ति खत्म हो जाती है।
सही सोच: नहीं। सुई की आखिरी डोज़ के 7-10 महीने बाद महिला फिर से गर्भधारण कर सकती है।
गलत सोच: अंतरा पहली बार लगवाना खतरनाक होता है।
सही सोच: नहीं। डॉक्टर या स्वास्थ्यकर्मी से सलाह लेकर अंतरा आसानी से लगवाया जा सकता है।
छाया गोली से जुड़े मिथक
गलत सोच: छाया गोली खाने से घबराहट होती है।
सही सोच: नहीं। छाया गोली हॉर्मोन-रहित होती है, इससे घबराहट नहीं होती। डर नई चीज़ को अपनाने का हो सकता है।
गलत सोच: छाया और माला-एन में से छाया कमजोर है।
सही सोच: नहीं। दोनों प्रभावी हैं। सही विकल्प महिला की ज़रूरत और सलाह से तय होता है।
माला-एन गोली से जुड़े मिथक
गलत सोच: माला-एन से पीरियड देर से आते हैं और बच्चेदानी खराब हो जाती है।
सही सोच: नहीं। माला-एन से तो पीरियड नियमित होते हैं और यह बच्चेदानी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाती।
गलत सोच: माला-एन से मोटापा हो जाता है।
सही सोच: नहीं। हल्का वज़न बढ़ सकता है, लेकिन यह मोटापा नहीं है। खानपान और व्यायाम से नियंत्रित किया जा सकता है।
गलत सोच: माला-एन से प्रेगनेंसी में दिक्कत होती है।
सही सोच: नहीं। गोली छोड़ने के बाद, महिला, दोबारा आसानी से गर्भधारण कर सकती है।
गलत सोच: गोलियाँ रोज खानी पड़ती हैं, भूल गए तो नुकसान हो जाएगा।
सही सोच: अगर भूल जाएं तो सलाह के अनुसार आगे की गोली लें और डॉक्टर से सलाह लें।
आईयूसीडी से जुड़े मिथक
गलत सोच: आईयूसीडी से पेट दर्द और ब्लीडिंग बहुत होती है।
सही सोच: नहीं। शुरू के कुछ महीने हल्की परेशानी हो सकती है जो धीरे-धीरे ठीक हो जाती है।
गलत सोच: आईयूसीडी बच्चेदानी से बाहर निकलकर शरीर के किसी और हिस्से में चली जाती है।
सही सोच: नहीं। यह सिर्फ गर्भाशय में ही रहती है, और सही से लगाई जाए तो बिल्कुल सुरक्षित होती है।
गलत सोच: आईयूसीडी संबंध बनाते समय पति को चोट पहुंचाती है।
सही सोच: नहीं। यह गर्भाशय में होती है और संबंध बनाते समय किसी को महसूस नहीं होती।
गलत सोच: आईयूसीडी से सफेद पानी आने लगता है।
सही सोच: नहीं। सफेद पानी का कारण संक्रमण हो सकता है, आईयूसीडी नहीं।
कंडोम से जुड़े मिथक
गलत सोच: कंडोम से इंफेक्शन हो जाता है।
सही सोच: नहीं। कंडोम से इंफेक्शन नहीं होता, बल्कि यह HIV और अन्य यौन संक्रमणों से बचाता है।
गलत सोच: एक कंडोम बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है।
सही सोच: नहीं। हर बार नया कंडोम इस्तेमाल करना होता है।
गलत सोच: कंडोम फट जाए तो कुछ नहीं होता।
सही सोच: कंडोम फटने पर गर्भ रुक सकता है। ऐसे में 72 घंटे के भीतर ईज़ी गोली ले या डॉक्टर से सलाह करें।
ईज़ी गोली/ आपातकालीन गोली से जुड़े मिथक
गलत सोच: ईज़ी गोली खाने से गर्भपात हो जाता है।
सही सोच: नहीं। यह गर्भ ठहरने से पहले ही काम करती है। अगर गर्भ ठहर गया हो तो उस पर इसका कोई असर नहीं होता।
गलत सोच: ईज़ी गोली को हर बार संबंध के बाद लिया जा सकता है।
सही सोच: नहीं। यह नियमित गर्भनिरोधक नहीं है। बार-बार लेने से शरीर पर असर हो सकता है और इतनी कारगर भी नहीं होगी।
गलत सोच: ईज़ी गोली और गर्भनिरोधक गोलियाँ एक जैसी होती हैं।
सही सोच: नहीं। ईज़ी गोली इमरजेंसी के लिए है, जबकि माला-एन जैसी गोलियाँ रोज़ ली जाती हैं।